वो लम्हे कितने खुबसूरत थे ना जब हम साथ साथ घर घर खैलते थे साथ शादी के खैल रचाते थे वो लम्हे कितने खुबसूरत थे ना जब तुम मेरी चौटीया खिंचा करते थे एक दुसरे से रुठ ने बाद भी हम साथ खैला करते थे तुम मुझे ...
वो लम्हे कितने खुबसूरत थे ना जब हम साथ साथ घर घर खैलते थे साथ शादी के खैल रचाते थे वो लम्हे कितने खुबसूरत थे ना जब तुम मेरी चौटीया खिंचा करते थे एक दुसरे से रुठ ने बाद भी हम साथ खैला करते थे तुम मुझे ...