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यादें

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काली अंधियारी रातों में ये आंखें जब भर आती हैं सन्नाटे में दबी हुई सिसकियां जब चिल्लाती हैं जब लगता है तू पास मेरे पर अहसास तेरा न पाती हूँ तब कर के बंद इन आंखों को उन यादों में खो जाती हूँ वो ...

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pratibha dubey

शब्दों में रखती हूं चुभन.कांटों के.जैसी हिफाजत भी जरुरी है आखिर गुलाब हूं मैं

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