एक याद ... आज बहुत कोशिश की या ये कह लो की आज जदों जहद करी पर एक आप हो ना to हमारे हो ना हमसे दुर जाते हो क्यू आते हो याद इस कदर जब आपकी ज़िन्दगी में हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं ज़िसे फिकर ही नहीं ...
किताबें मेरी हमसफ़र रही ये सच है, पर उस हमसफ़र की ये कलम भी हमराही हो गई है, अक्सर मेरी कलम मेरे ख्यालों से होकर मेरी जिंदगी का सफर तय कर देती है,
मै मौन हूं
मेरी कलम बोलती है
कनपुरिया हूं
इसलिए कभी इठलाती है
कभी झकझोरती है
कभी जीवन को सजाती रंगीन रंगो से।
सारांश
किताबें मेरी हमसफ़र रही ये सच है, पर उस हमसफ़र की ये कलम भी हमराही हो गई है, अक्सर मेरी कलम मेरे ख्यालों से होकर मेरी जिंदगी का सफर तय कर देती है,
मै मौन हूं
मेरी कलम बोलती है
कनपुरिया हूं
इसलिए कभी इठलाती है
कभी झकझोरती है
कभी जीवन को सजाती रंगीन रंगो से।
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