ये कविता एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसे मेने कविता में ढालने की एक कोशिश की हैं। वो काली बिल्ली कहीं भी दिख जाए वो काली बिल्ली। याद बचपन की बदन में सिरहन फैलाती गर्मियों के दिन आंगन में ...
ये कविता एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसे मेने कविता में ढालने की एक कोशिश की हैं। वो काली बिल्ली कहीं भी दिख जाए वो काली बिल्ली। याद बचपन की बदन में सिरहन फैलाती गर्मियों के दिन आंगन में ...