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वो जो एक फ़िल्म थी .. घरौंदा

4.5
2719

यूँ तो पाँव के नीचे धरती और सर के ऊपर आकाश तो सब के संग रहता है फिर भी हर किसी के भीतर एक अपना स्वयं का ऐसा टुकड़ा सहेजने की चाह सदा होती है जहाँ वो अपने हिस्से का संसार रचा-बसा कर उसे अपना ‘घरौंदा’ ...

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लेखक के बारे में

हिन्दी तिथि ‘श्री गणेश चतुर्थी’ के ही दिन तदनुसार 03 सितम्बर को जन्में वरिष्ठ लेखक, कवि, फ़िल्म समीक्षक और व्याख्याता डॉ. राजीव श्रीवास्तव बहुआयामी व्यक्तित्व और बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी हैं. उच्च स्तरीय व्यवसायिक प्रकाशन में निहित आप प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रसारण, फ़िल्म प्रोडक्शन, फ़ीचर लेखन से सम्बद्ध हैं. डॉ. राजीव की शैक्षणिक उपलब्धियां भी असाधारण हैं. आपने एम.ए. (हिन्दी, समाज शास्त्र) की उपाधि प्राप्त कर एलएल. बी. की डिग्री प्राप्त की है तथा पत्रकारिता और जन संचार में विशेष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर (मास्टर्स डिग्री) का पाठ्यक्रम पूर्ण किया है. तत्पश्चात पीएच. डी. करके इन्होने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. पीएच.डी. का इनका शोध प्रबन्ध हिन्दी सिने संगीत पर केन्द्रित है जो इस विषय पर अब तक का एकमात्र शोध है. शैक्षणिक उपलब्धि के समकक्ष ही आपकी व्यावसायिक योग्यता भी अद्वितीय है. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विगत तीस वर्षों से आपका उल्लेखनीय योगदान रहा है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, द हिन्दू, जनसत्ता, कादम्बिनी, अहा ज़िन्दगी, माधुरी, स्क्रीन, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, आउटलुक, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, आजकल, इन्द्रप्रस्थ भारती, संगना आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन से आप सम्बद्ध रहे हैं. ‘आकाशवाणी’ (आल इण्डिया रेडियो) एवं ‘दूरदर्शन’ से सम्बद्ध होकर आप उद्घोषक और प्रस्तुतकर्ता के रूप में गौरवपूर्ण भूमिका का सफल निर्वहन करते रहे हैं साथ ही ‘आजतक’, ‘स्टार न्यूज़’, ‘एन.डी.टी.वी.’ तथा अन्य कई टी.वी. चैनलों पर विभिन्न व्यक्तित्वों एवं विषयों पर विशेष ‘फ़ीचर’ प्रस्तुत करते रहे हैं. सिनेमा और साहित्य के सम्बन्धों को डॉ. राजीव श्रीवास्तव के लेखन ने प्रगाढ़ बनाया है. किसी भारतीय पार्श्वगायक की जीवनी लिखने वाले आप प्रथम व्यक्ति हैं. पार्श्वगायक मुकेश के व्यक्तित्व-कृतित्व को संजोये उनकी पुस्तक ‘मुकेश: सुरीले सफ़र की कहानी’ [1993] (आमुख: अनिल बिस्वास) तथा संगीतकार कल्याणजी-आनन्दजी की जीवनी ‘ज़िन्दगी का सफ़र’ [2004] (आमुख: अमिताभ बच्चन) भारत में एकमात्र दो ऐसी सिनेमाई पुस्तकें हैं जिसे राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी साहित्य का विशेष सम्मान प्रदान किया गया है. पार्श्वगायक मुकेश के जीवन और गायन पर निर्मित-निर्देशित फ़िल्म ‘मुकेश... द सिंगर’ [2004] के साथ ही वयोवृद्ध वरिष्ठतम् पार्श्वगायिका शमशाद बेग़म पर केन्द्रित डॉ. राजीव श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘धरती को आकाश पुकारे’ [2013] एक संग्रहणीय धरोहर है. इनके द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘गंगा: जीवन दायिनी’ (GANGA: A Life Line) [2013] आजकल विशेष चर्चा में है. यह फिल्म ‘गंगा’ नदी में हो रहे व्यापक प्रदूषण पर केन्द्रित है. अमरीका की प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था ‘ईबेर एंड वेइन पब्लिशिंग’ द्वारा प्रकाशित की गयी वर्ष 2016 की विश्व भर के विभिन्न देशों के लगभग तीन सौ श्रेष्ठ चयनित अंग्रेजी कविताओं का संकलन (Poetry Anthology) ‘अपॉन अराईवल’ (Upon Arrival) में भारत से डॉ. राजीव श्रीवास्तव की अंग्रेजी कविता ‘ट्रस्ट मी, आई ऍम नॉट इन लव’ (Trust Me, I Am Not In Love) [2017] को भी स्थान दिया गया है. वैश्विक स्तर पर किसी कवि-लेखक के लिये यह एक विशिष्ट एवं गौरवमयी उपलब्धि है. भारत में पहली बार सिने पार्श्वगायकों ‘मुकेश, मु. रफ़ी, किशोर कुमार, हेमन्त कुमार’ [2003] एवं हिंदी ग़ज़लकार ‘दुष्यन्त कुमार’ [2009] पर भारत सरकार द्वारा निकाले गए विशेष स्मारक डाक टिकट के मुख्य प्रस्तावक आप ही थे और आपके ही सुप्रयासों द्वारा यह बहुप्रतीक्षित कार्य सम्भव हो सका. देश-विदेश के प्रमुख मिडिया एवं फ़िल्म संस्थान में व्याख्याता के रूप में अपनी नियमित सेवायें प्रदान करने वाले डॉ. राजीव श्रीवास्तव अपने विभिन्न शोध प्रबन्धों के लिए भी जाने जाते हैं. कई सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं के गरिमामयी पदों को सुशोभित करते हुए आप राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह के नियमित डेलिगेट भी हैं. भारत के अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (इफ्फी) से विगत दो दशक से सम्बद्ध रहते हुए ‘इफ्फी डेली न्यूज़ बुलेटिन’ [2012, 2013, 2014] के सम्पादक के रूप में इनका कार्य विशेष रूप से प्रशंसनीय रहा है. हिन्दी में पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘वर्तमान साहित्य’ के वे दस वर्षों तक ‘प्रबन्ध सम्पादक’ के रूप में सम्बद्ध रहे हैं. ‘द फ़िल्म राईटर्स एसोसिएशन’, मुम्बई तथा ‘द इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ (भारतीय सांस्कृतिक निधि), नई दिल्ली के ‘आजीवन सदस्य’ (Life Member) डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने पिछले दिनों ही भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष को सन्दर्भित करती एक वृहद् " समग्र हिन्दी सिनेमा कोश ” (एन्साइक्लोपीडिया) के लेखन-सम्पादन का महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण किया है जो भारत में प्रकाशित होने वाला हिन्दी भाषा का प्रथम वृहद् सिने कोश है. इनका एक अन्य प्रकाशनाधीन “ सात सुरों का मेला ” पुस्तक हिन्दी सिने गीत-संगीत पर लिखा गया एक शोधपूर्ण ग्रन्थ है जिसमें दशकवार वर्ष 1931 से लेकर 2010 तक की अवधि के मध्य हिन्दी सिने गीतों की विस्तृत कहानी दर्शायी गयी है. इसी के साथ ही उनकी निर्माणाधीन फ़िल्म “जीत जायेंगे हम – एक युद्ध, कैंसर विरुद्ध” शीघ्र ही प्रदर्शित होने वाला एक महत्वपूर्ण वृत्तचित्र है. आने वाले समय में कई और भी सिने व्यक्तित्वों पर शोधपूर्ण ‘वृत्त-चित्र’ के निर्माण-निर्देशन की अपनी योजना के साथ ही उनके द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखी जा रही पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं जिसमें उनका बहुप्रतीक्षित ‘काव्य-संग्रह’ भी सम्मिलित है. सम्पर्क ‘गोल्फ़ अपार्टमेन्ट’, 114, ‘गेहा निवास’, सुजान सिंह पार्क, 03, महर्षि रमण मार्ग, नई दिल्ली - 110003 ई मेल: [email protected] व्हाट्सएप एवं मोबाइल: 91-7042970515 , 91-9415323515

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Monika Kukreja
    26 जून 2017
    अब ऐसी फिल्में नही बनती 😌😌
  • author
    Archana Pareek
    16 जून 2018
    very nice
  • author
    Pratima Preet
    04 मार्च 2022
    mene ye film dekhi ni h magar bachpan me radio par suna h mene.. ek ek line jese gunj raha h kaano me jab bhai ko v paise deti h sudeep v aata h paise mangne or nayika jujhti h antardwand se..
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    Monika Kukreja
    26 जून 2017
    अब ऐसी फिल्में नही बनती 😌😌
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    Archana Pareek
    16 जून 2018
    very nice
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    Pratima Preet
    04 मार्च 2022
    mene ye film dekhi ni h magar bachpan me radio par suna h mene.. ek ek line jese gunj raha h kaano me jab bhai ko v paise deti h sudeep v aata h paise mangne or nayika jujhti h antardwand se..