दो बीघा ज़मीन , हाँ, वही जिसे आज भी देखते हुये लगता है कि वर्तमान समय में भी कितनी प्रासंगिक है यह फ़िल्म. पर जब मैं इसकी कथावस्तु और कहानी के दृश्य-परिदृश्य पर दृष्टिपात करता हूँ तो मन में जैसे हूक सी ...
दो बीघा ज़मीन , हाँ, वही जिसे आज भी देखते हुये लगता है कि वर्तमान समय में भी कितनी प्रासंगिक है यह फ़िल्म. पर जब मैं इसकी कथावस्तु और कहानी के दृश्य-परिदृश्य पर दृष्टिपात करता हूँ तो मन में जैसे हूक सी ...