ये एक वीर-रस की कविता है। एक अनोखी बात ये है, कि इसको लिखते वक्त, वीर-रस में लिखने का मेरा कोई अभिप्राय ही नहीं था। बल्कि इसके विपरीत, मैं उदासीनता से भरा था, और उसी दिशा में कुछ लिखने का यत्न कर ...
ये एक वीर-रस की कविता है। एक अनोखी बात ये है, कि इसको लिखते वक्त, वीर-रस में लिखने का मेरा कोई अभिप्राय ही नहीं था। बल्कि इसके विपरीत, मैं उदासीनता से भरा था, और उसी दिशा में कुछ लिखने का यत्न कर ...