विवशता को तुम्हारी समझता हूं मैं.... बेबसी में कभी जीने नहीं दूँगा मैं.... मजूबरी की जंजीरों में बंधने न दूँगा तुम्हें... तमाम खुशियाँ जहां भर की तेरे कदमों में रख दूँगा मैं... एक तेरे मुस्कुराते ...
विवशता को तुम्हारी समझता हूं मैं.... बेबसी में कभी जीने नहीं दूँगा मैं.... मजूबरी की जंजीरों में बंधने न दूँगा तुम्हें... तमाम खुशियाँ जहां भर की तेरे कदमों में रख दूँगा मैं... एक तेरे मुस्कुराते ...