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विवशता, बेबसी, मजबूरी

4.6
499

विवशता को तुम्हारी समझता हूं मैं.... बेबसी में कभी जीने नहीं दूँगा मैं.... मजूबरी की जंजीरों में बंधने न दूँगा तुम्हें... तमाम खुशियाँ जहां भर की तेरे कदमों में रख दूँगा मैं... एक तेरे मुस्कुराते ...

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लेखक के बारे में
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सौरभ शर्मा

वो बिखरी लट वाली लड़की मेरी किस्मत है

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    10 अक्टूबर 2020
    उत्कृष्ट लेखन रुचिकर बहुत-बहुत
  • author
    Ambika Jha
    13 जुलाई 2020
    वाह बहुत खूब बहुत सुंदर रचना 👌👌🙏🙏
  • author
    Sanjay Ni_ra_la
    08 जुलाई 2020
    बहुत सुन्दर कविता 👌 👌 🙏 🙏
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    10 अक्टूबर 2020
    उत्कृष्ट लेखन रुचिकर बहुत-बहुत
  • author
    Ambika Jha
    13 जुलाई 2020
    वाह बहुत खूब बहुत सुंदर रचना 👌👌🙏🙏
  • author
    Sanjay Ni_ra_la
    08 जुलाई 2020
    बहुत सुन्दर कविता 👌 👌 🙏 🙏