एक दिन निकला मैं घर से रात को , पथ पर पड़ी रस्सी समझ कर सांप को , उठा लिया मैंने उस काले नाग को ! नाग बोला - छोड़ दे मुझको मैं एक सर्प हूँ , चल रहे कलयुग का एक फर्क हूँ . चौंक कर ढीला मैंने उस ...
एक दिन निकला मैं घर से रात को , पथ पर पड़ी रस्सी समझ कर सांप को , उठा लिया मैंने उस काले नाग को ! नाग बोला - छोड़ दे मुझको मैं एक सर्प हूँ , चल रहे कलयुग का एक फर्क हूँ . चौंक कर ढीला मैंने उस ...