विलाप अंतर्मन का कहूँ या फिर शोर आत्मा का, चीख उसकी थी लेकिन दिल मेरा दहल गया था। तिरंगे में लिपटा हुआ वो जब लाया गया द्वार पर, विलाप की चीखों ने भर दिया था द्वार और घर। विलाप अंतर्मन का कहूँ या ...
विलाप अंतर्मन का कहूँ या फिर शोर आत्मा का, चीख उसकी थी लेकिन दिल मेरा दहल गया था। तिरंगे में लिपटा हुआ वो जब लाया गया द्वार पर, विलाप की चीखों ने भर दिया था द्वार और घर। विलाप अंतर्मन का कहूँ या ...