pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

विदेश

4.2
2914

यह एक सामाजिक कहानी है। जिसमे दो मित्रों का वर्णन किया गया है। एक देश में रहकर पढाई करता है तो दूसरा विदेश में। पूरा समाज नाते रिस्तेदार विदेश में पढ़ने वाले को बहुत महत्व देता है।लेकिन देश मे ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Devendra Kumar Mishra

पत्र पत्रिकाओं को पढ़ना,पढ़कर अपने भावो,विचारो को कलम बद्ध करना मेरी रूचि है। लेकिन सामाजिक गतिविधियों में अपना सहयोग देना मेरी पहली प्राथमिकता है। व्यस्त रहो मस्त रहो जीवन का मूल मन्त्र है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vaibhav Mishra
    07 एप्रिल 2018
    good
  • author
    Yogendra Singh
    20 ऑगस्ट 2018
    माफ कीजिएगा एक व्याख्यान की तरह लगी, कथा वाले गुण नजर नहीं आये। आये
  • author
    03 जुलै 2018
    सुकून अपने देश मे ही हे।बहुत खूबसूरत कहानी बनी है।मेरी रचना भी पढे।सुकून ममता
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vaibhav Mishra
    07 एप्रिल 2018
    good
  • author
    Yogendra Singh
    20 ऑगस्ट 2018
    माफ कीजिएगा एक व्याख्यान की तरह लगी, कथा वाले गुण नजर नहीं आये। आये
  • author
    03 जुलै 2018
    सुकून अपने देश मे ही हे।बहुत खूबसूरत कहानी बनी है।मेरी रचना भी पढे।सुकून ममता