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विचित्र देश की प्रेमकथा

4.3
6019

इस कहानी के नायक कालीचरण माथुर, जो खुद को के.सी. माथुर कहना पसंद करता है, में ऐसा एक भी गुण नहीं कि उसे नायक का दर्जा दिया जाये। लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूं कि जो कहानी मैं लिखने जा रहा हूं वह ...

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लेखक के बारे में

जन्म : 25 दिसंबर 1956, मेरठ (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : कहानी, उपन्यास उपन्यास : समय एक शब्द भर नहीं है, हलाहल, गुजर क्यों नहीं जाता, देश निकाला   कहानी संग्रह : लोग हाशिये पर, आदमीखोर, मुहिम, विचित्र देश की  प्रेमकथा, जो मारे जाएँगे, उस रात की गंध, खुल जा सिमसिम, नींद के बाहर पुरस्कार: इंदु शर्मा कथा सम्मान, राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान, मौलाना अबुल कलाम आजाद पत्रकारिता पुरस्कार पता: डी-2/102, देवतारा अपार्टमेंट्स, मीरा सागर कांप्लेक्स, रामदेव पार्क रोड, मुंबई - 7 दूरभाष:: 91-9821872693, 91-22-65282046

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    निर्लेप मिश्रा
    09 जून 2019
    व्यक्तिगत कहानी के साथ ही शानदार व्यंग्य और एक जोरदार कटाक्ष
  • author
    Amit Prajapati
    20 नवम्बर 2018
    84 ke dango ke upar bahut achche se kataksh kiya bai aapne. khair ab bhi to punjab me wahi hua usi aurat ki party ki sarkar bani. yaha logo ko bhool jaane ki bimari jo hai
  • author
    09 जून 2019
    1974 से 1984 तक का कालखंड.. एक आम आदमी.. सत्ता की चाह में जन भावनाओं का सौदा.. जनता की नगण्यता... हिंसा, खून और मदांधता... अस्थाना साहब... निश्चय ही आपने इस कालखंड को 'भुगता' है। *('जिया' कहना तो झूठ होगा...)
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    निर्लेप मिश्रा
    09 जून 2019
    व्यक्तिगत कहानी के साथ ही शानदार व्यंग्य और एक जोरदार कटाक्ष
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    Amit Prajapati
    20 नवम्बर 2018
    84 ke dango ke upar bahut achche se kataksh kiya bai aapne. khair ab bhi to punjab me wahi hua usi aurat ki party ki sarkar bani. yaha logo ko bhool jaane ki bimari jo hai
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    09 जून 2019
    1974 से 1984 तक का कालखंड.. एक आम आदमी.. सत्ता की चाह में जन भावनाओं का सौदा.. जनता की नगण्यता... हिंसा, खून और मदांधता... अस्थाना साहब... निश्चय ही आपने इस कालखंड को 'भुगता' है। *('जिया' कहना तो झूठ होगा...)