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वीरान महल

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एक वक्त मेरा भी था एक शान मेरी भी थी एक अन्दाज मेरा भी था एक पहचान मेरी भी थी |1| वीरान पडे इन महलो मे गुलजार चमन भी था कुछ पल के लिये ही खुशीयां मेहमान मेरी भी थी|2| जर्जर सी मेरी दीवारो मे अब ...