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वीर भोग्या वसुंधरा

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कविता उठो धरा के अमर सपूतों,  नव प्राण भरो। उठा लो हाथों में बंदूकें और रिपुदमन तमाम करो।। हर घड़ी लेगी इंतहान, लेह लद्दाख में तुम्हारा । दिखला दो राणा के वंशज ...

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shasendra misra

बुझा सको तो बुझाओ इस चरागे हस्ती को, ये वो चिराग है, जिसे हवा जलाती है।।

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