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Vah aurat buri hai

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वह घूंघट नहीं काढ़ती पुरुषों से करती हैं बातें मिलाती है हाथ नहीं शर्माती सकुचाती जोर से हंसती है तर्क करती है हर बड़े-छोटे की आंखों में आंखें डाल पुरुषों के साथ करती है काम वह करती है बहस खुलेआम ...

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lavina bhatia
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