यह उन्मादी भीड़ अंधी और बहरी भीड़ पल में मिटा देती सिंदूर किसी का किसी की कर देती सूनी गोद क्या इसमें कोई विवेकशील नहीं होता सब अंधे और बहरे बन जाते हाकी, बल्लों ,लातों घूंसों से निर्दोष अनमोल ...
यह उन्मादी भीड़ अंधी और बहरी भीड़ पल में मिटा देती सिंदूर किसी का किसी की कर देती सूनी गोद क्या इसमें कोई विवेकशील नहीं होता सब अंधे और बहरे बन जाते हाकी, बल्लों ,लातों घूंसों से निर्दोष अनमोल ...