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उलटी चप्पलें

4.3
19913

"पिछले साहब, देशज सिंह ने जंगलों में एक दबिश डाली थी जहाँ उन्हें शक़ था कि नक्सली बसर करते हैं। पर न हथियार मिले न नक्सली, मिली तो कुछ औरतें, उनके बच्चे और ढेर सारी शराब। उनमें से एक बच्चे के हाथ ...

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लेखक के बारे में

सहर करीब 15 साल से पढ़ने और लिखने के शौक को काम की तरह करते हैं। तीन साल से अपना ब्लॉग लिख रहे हैं। खुद को अति-प्रैक्टिकल मानते हैं इसलिए इनकी कहानियों में भी प्रैक्टिकल ज्ञान साफ़ झलकता है। फ़िलहाल, प्राइवेट कंपनी में एडमिनिस्ट्रेटर हैं और अपने घर में राइटर। कहानियां लिखते हैं, गज़लें लिखते थे, अब इन दिनों उपन्यास लिख रहे हैं। आगे क्या लिखेंगे इसका क़तई कोई ज्ञान नहीं पर लिखते रहेंगे,इसका भरोसा है। अधिक जानकारी के लिए फेसबुक पर जुड़े अथवा ट्विटर पर फॉलो करें। /Siddhartarorasahar - Facebook @SiddheartA - Twitter

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Akanksha Dikshit
    14 ઓગસ્ટ 2018
    अच्छी कहानी थोड़ी और स्पष्टता होती तो अच्छा रहता
  • author
    Sujeet Raghuwanshi
    12 જુલાઈ 2020
    ese vibhishan hone chahiye
  • author
    आकांक्षा सिंह
    14 ઓગસ્ટ 2018
    घर के भेदी .. वाह अच्छी कहानी :-):-)
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Akanksha Dikshit
    14 ઓગસ્ટ 2018
    अच्छी कहानी थोड़ी और स्पष्टता होती तो अच्छा रहता
  • author
    Sujeet Raghuwanshi
    12 જુલાઈ 2020
    ese vibhishan hone chahiye
  • author
    आकांक्षा सिंह
    14 ઓગસ્ટ 2018
    घर के भेदी .. वाह अच्छी कहानी :-):-)