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उलझे धागे

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ना जाने क्यो जिन्दगी के धागे उलझे जा रहे है जितना सुलझाती हूं इन्हे ये उतने ही उलझे जा रहे है यूं तो हर रंग के धागे है मेरे पास लेकिन ना जाने  क्यूं आपस मे सारे उलझे जा रहे है ऐ जिन्दगी कुछ ...