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उफ्फ्फ ये ज़ालिम मोहब्बत

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मोहब्बत सूरत से होती तो बदल जाती फितरत मेरी इजाजत रूह ने दी थी मोहब्बत तुमसे करने की ज़माना क्या कहे क्या ना कहे फर्क नही पड़ता मुझे तुम कह  दो ना एक बार मोहब्बत तुमने भी की थी थामो तुम अगर दामन मेरा ...

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Mohammad Kaif
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