#तुरुप_का_इक्का बड़ी सी टेबल के चारों ओर ..पीटर ,डिसूजा ,राबर्ट ,मैकमोहन,पैन्थर ,मिसलोना,नेताजी ,मृदंग और हुड़दंग बैठे हैं । तभी हाल की लाल बत्ती अलार्म के साथ जलने बुझने लगती है ...मकड़ा मदमस्त सांप ...
मैं आनंद भाऊ बरगढ़ चित्रकूट शुद्ध देहाती शौकिया कवि और लेखक हूँ । भ्रष्टाचार का धुर विरोधी हूँ इसीलिए पीड़ित हूँ । पहले फेसबुक पर लिखता था । एक मित्र ने प्रतिलिपि के बारे में जानकारी दी । आपके समक्ष हूँ ।
सारांश
मैं आनंद भाऊ बरगढ़ चित्रकूट शुद्ध देहाती शौकिया कवि और लेखक हूँ । भ्रष्टाचार का धुर विरोधी हूँ इसीलिए पीड़ित हूँ । पहले फेसबुक पर लिखता था । एक मित्र ने प्रतिलिपि के बारे में जानकारी दी । आपके समक्ष हूँ ।
समीक्षा
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रचना शेयर करें
बधाई हो! तुरुप का इक्का प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।