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"तुम राम बनाना चाहते थे,मैं रावण बनके रहा गया"

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तुम राम बनाना चाहते थे,       मैं रावण बनके रहा गया,, चाहते थे वनवास सा जीवन,       साथ मेरे तुम रहने को,, मैंने, ओढ़ा चोला क्रोध का,      और, तुम्हें उठा की ले गया,, तुम चाहते थे मृग, प्रेम ...

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लेखक के बारे में

लिखना मेरे बस में नहीं, राज कि ये बात है,,,, लिखावट कि जो प्रेरणा हैं, उनमे ही कुछ ख़ास है..!!

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