तुम नारी हो किस प्रेम की तुम आस में आशा लगाये बैठी हो। वह प्रेम तो एक छलावा है। जीवन को क्यों करके अपने तुम दाव पर लगाती हो। क्यों वासना की गर्त में अपनें को गिराती हो। मोह के जाल में क्यों तुम ...
तुम नारी हो किस प्रेम की तुम आस में आशा लगाये बैठी हो। वह प्रेम तो एक छलावा है। जीवन को क्यों करके अपने तुम दाव पर लगाती हो। क्यों वासना की गर्त में अपनें को गिराती हो। मोह के जाल में क्यों तुम ...