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तुम और मैं..

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नई किताब की खुस्बु सी तुम, मैं रद्दियों में परा ढ़ेर सा.. सावन की पहली बारिस सी तुम, मैं उसी बारिस में सना कीचड़ सा.. खाने में परे नमक के स्वाद सी तुम, मैं अजवाईन के घोल सा.. शाम की सिंदूरी आभा सी ...