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तुलसी मैं तेरे आंगन की

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सुनों~ कांपती आवाज से तुम्हें पुकार रही हूँ, अपने अर्धांगनी होने का कर्तव्य निभा रही हूँ। दिन की धूप बदन में बदन छुपा रात में रातरानी बन रही हूँ। तुम्हारी जिंदगी में नींव का पत्थर बन तुम्हें ...

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लेखक के बारे में
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नीलम अग्रवाल

"यथा दृष्टि, तथा सृष्टि!" #DarkFantasy #MysticTales #HorrorStories जय मां तारा🌹🌹

समीक्षा
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  • author
    04 अप्रैल 2020
    बहुत सुंदर रचना 👌
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    04 अप्रैल 2020
    बहुत सुंदर रचना 👌