रात के नौ बज रहे थे । ट्रेन चल चुकी थी । धीरे-धीरे गाड़ी प्लेटफॉर्म से दूर जा रही थी । शहर की गहमा-गहमीयों से नाता टूट रहा था और शांत प्रकृति से जुड़ रहा था । साइड वाली बर्थ थी उसकी। लग्गेज सीट के ...
रात के नौ बज रहे थे । ट्रेन चल चुकी थी । धीरे-धीरे गाड़ी प्लेटफॉर्म से दूर जा रही थी । शहर की गहमा-गहमीयों से नाता टूट रहा था और शांत प्रकृति से जुड़ रहा था । साइड वाली बर्थ थी उसकी। लग्गेज सीट के ...