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कछुआ और खरगोश

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≠≠≠=≠≠============= बचपन में , हमने सुनी थी एक कहानी । दादा   दादी   की  जुबानी  ।। दो थे दोस्त, एक कछुआ और दूसरा खरगोश। खरगोश दौड़ने में परफेक्ट था, पर ओवर कॉन्फिडेंट था । उस पुरानी जमाने में , ...

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लेखक के बारे में

चन्द पंक्तियाँ कल लिखी थी , चन्द पंक्तियाँ आज लिखी है । कवि नही हूँ फिर भी दिल की धड़कन से दिल की आवाज लिखी है ।।

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