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टूटते परम्परा-बन्धन

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अब उसका नीचे जाना काफ़ी मुश्किल है। ऊपर से इस ऊँचाई तक जाना कम है॥ ऊपर चलो सैकड़ों साथी तुम्हें मिलेंगे। बिन प्रयास ही उड़ते सारे तुम्हें मिलेंगे॥ गुरु चिड़िया ने नन्हीं को फ़िर गुर बतलाया। बिन पंखों को ...

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