बैठ जाया करो कभी अपनी मिट्टी पर, ख़ामोश रहो — क्योंकि यही है जो अक्सर औक़ात बताया करती है।" ज़िन्दगी में दौड़ते हुए हम अक्सर अपनी जड़ों को पीछे छोड़ आते हैं। हम ऊँचाइयों की तलाश में उस मिट्टी को भुला ...
बैठ जाया करो कभी अपनी मिट्टी पर, ख़ामोश रहो — क्योंकि यही है जो अक्सर औक़ात बताया करती है।" ज़िन्दगी में दौड़ते हुए हम अक्सर अपनी जड़ों को पीछे छोड़ आते हैं। हम ऊँचाइयों की तलाश में उस मिट्टी को भुला ...