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तिश्नगी

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जिंदगी की  राह में तुम तिश्नगी की हद न पूछो बस  यही  है बात ऐसी खोया कोई  पाया कोई है यही आधार सुख का है यही  अंबार दुख  का बस जरा सी तिश्नगी से रोया  कोई  गाया  कोई कौन है जो बच सका है ...

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लेखक के बारे में
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Nagendra kumar Dubey

जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन, औरंगाबाद एवं साहित्यिक संस्था साहित्य कुंज का सदस्य। निवास स्थान -औरंगाबाद, बिहार। शैक्षणिक योग्यता - स्वास्थ्य प्रबंधन में स्नातकोत्तर उपाधि। वर्तमान में जिला योजना समन्वयक के पद पर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत।

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