अल्बर्ट हॉल के ठीक सामने वाली रोड के किनारे गुलमोहर के एक बूढ़े दरख़्त के नीचे एक टूटी हुई बेंच जिस पर पुते हरे रंग की पपड़ियाँ उखड़ चली थीं, पर बैठ कर उसे रोज़ देखना मेरा शगल था, अल सुबह वह ...
अजीतपाल सिंह दैया अहमदाबाद (गुजरात) के रहने वाले हैं और जोधपुर के एम बी एम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। कविता, कहानी, लघुकथा और उपन्यास लेखन जैसी विधा में लिखते रहें हैं। हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी, उर्दू और राजस्थानी भाषा में लेखन करते हैं। एक उपन्यास Estranged प्रकाशित हुआ है। दो कविता संग्रह 'अप्पो दीपो भव" एवं ‘फ़िलहाल’ प्रकाशित इसके अलावा छिटपुट रचनाएँ राजस्थान पत्रिका, इतवारी पत्रिका, बालहंस, लोटपोट, जलते दीप, अकादमी कृति आदि में प्रकाशित। आकाशवाणी जोधपुर से कवितायें और सामाजिक विषयों पर वार्ताएं प्रसारित। लेखन के अतिरिक्त वह स्केचिंग, पेंटिंग और कार्टून बनाने का शौक रखते हैं। दैया की रचनाएँ ब्लॉग poetry-ajit.blogspot.in पर भी पढ़ी जा सकती हैं
अजीतपाल सिंह दैया अहमदाबाद (गुजरात) के रहने वाले हैं और जोधपुर के एम बी एम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। कविता, कहानी, लघुकथा और उपन्यास लेखन जैसी विधा में लिखते रहें हैं। हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी, उर्दू और राजस्थानी भाषा में लेखन करते हैं। एक उपन्यास Estranged प्रकाशित हुआ है। दो कविता संग्रह 'अप्पो दीपो भव" एवं ‘फ़िलहाल’ प्रकाशित इसके अलावा छिटपुट रचनाएँ राजस्थान पत्रिका, इतवारी पत्रिका, बालहंस, लोटपोट, जलते दीप, अकादमी कृति आदि में प्रकाशित। आकाशवाणी जोधपुर से कवितायें और सामाजिक विषयों पर वार्ताएं प्रसारित। लेखन के अतिरिक्त वह स्केचिंग, पेंटिंग और कार्टून बनाने का शौक रखते हैं। दैया की रचनाएँ ब्लॉग poetry-ajit.blogspot.in पर भी पढ़ी जा सकती हैं
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