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तेरी मेरी कहानी

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तेरी आँखों की भाषा अनकही अनजानी लबों की खामोशी मगर  जानी पहचानी। कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह जाना। आदत जनाब की  ये तो है बहुत पुरानी कहाँ शुरू कहाँ खत्म हो जाएँ है बहुत थोड़ी सी जिन्दगानी कभी ...