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तेरी दुनिया नई नई है क्या

4.2
2510

तेरी दुनिया नई नई है क्या रात रोके कभी, रुकी है क्या बदलते रहते हो,मिजाज अपने सुधर जाने से, दुश्मनी है क्या जादु-टोना कभी-कभी चलता सोच हरदम,यों चौकती है क्या तीरगी , तीर ही चला लेते पास कहने को, ...

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लेखक के बारे में
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सुशील यादव

जन्म 30 जून 1952 दुर्ग छत्तीसगढ़ रिटायर्ड डिप्टी कमीश्नर , कस्टम्स,सेन्ट्रल एक्साइज एवं सर्विस टेक्स व्यंग ,कविता,कहानी का स्वतंत्र लेखन |रचनाएँ स्तरीय मासिक पत्रिकाओं यथा कादंबिनी ,सरिता ,मुक्ता तथा समाचार पत्रं के साहित्य संस्करणों में प्रकाशित |अधिकतर रचनाएँ gadayakosh.org ,रचनाकार.org ,अभिव्यक्ति ,उदंती ,साहित्य शिल्पी ,एव. साहित्य कुञ्ज में नियमित रूप से प्रकाशित |

समीक्षा
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  • author
    Jai Sharma
    18 फ़रवरी 2025
    राधे राधे सुशील जी बहुत बढ़िया बहुत सुंदर रचना जी
  • author
    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
  • author
    01 अप्रैल 2025
    शानदार अशआर 👌👌👌
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    Jai Sharma
    18 फ़रवरी 2025
    राधे राधे सुशील जी बहुत बढ़िया बहुत सुंदर रचना जी
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    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
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    01 अप्रैल 2025
    शानदार अशआर 👌👌👌