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तेरी दुनिया नई नई है क्या

3.8
1921

तेरी दुनिया नई नई है क्या रात रोके कभी, रुकी है क्या बदलते रहते हो,मिजाज अपने सुधर जाने से, दुश्मनी है क्या जादु-टोना कभी-कभी चलता सोच हरदम,यों चौकती है क्या तीरगी , तीर ही चला लेते पास कहने को, रौशनी है क्या सर्द मौसम, अभी-अभी गुजरा बर्फ दुरुस्त कहीं जमी है क्या ...

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लेखक के बारे में
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सुशील यादव

जन्म 30 जून 1952 दुर्ग छत्तीसगढ़ रिटायर्ड डिप्टी कमीश्नर , कस्टम्स,सेन्ट्रल एक्साइज एवं सर्विस टेक्स व्यंग ,कविता,कहानी का स्वतंत्र लेखन |रचनाएँ स्तरीय मासिक पत्रिकाओं यथा कादंबिनी ,सरिता ,मुक्ता तथा समाचार पत्रं के साहित्य संस्करणों में प्रकाशित |अधिकतर रचनाएँ gadayakosh.org ,रचनाकार.org ,अभिव्यक्ति ,उदंती ,साहित्य शिल्पी ,एव. साहित्य कुञ्ज में नियमित रूप से प्रकाशित |

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
  • author
    Subhash Chander Bajaj
    25 अगस्त 2024
    nice poetry
  • author
    Adv.Rushikesh Kalwaghe
    27 अप्रैल 2020
    excellent bro
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    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
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    Subhash Chander Bajaj
    25 अगस्त 2024
    nice poetry
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    Adv.Rushikesh Kalwaghe
    27 अप्रैल 2020
    excellent bro