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तेरी दुनिया नई नई है क्या

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तेरी दुनिया नई नई है क्या रात रोके कभी, रुकी है क्या बदलते रहते हो,मिजाज अपने सुधर जाने से, दुश्मनी है क्या जादु-टोना कभी-कभी चलता सोच हरदम,यों चौकती है क्या तीरगी , तीर ही चला लेते पास कहने को, रौशनी है क्या सर्द मौसम, अभी-अभी गुजरा बर्फ दुरुस्त कहीं जमी है क्या ...

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लेखक के बारे में
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सुशील यादव

जन्म 30 जून 1952 दुर्ग छत्तीसगढ़ रिटायर्ड डिप्टी कमीश्नर , कस्टम्स,सेन्ट्रल एक्साइज एवं सर्विस टेक्स व्यंग ,कविता,कहानी का स्वतंत्र लेखन |रचनाएँ स्तरीय मासिक पत्रिकाओं यथा कादंबिनी ,सरिता ,मुक्ता तथा समाचार पत्रं के साहित्य संस्करणों में प्रकाशित |अधिकतर रचनाएँ gadayakosh.org ,रचनाकार.org ,अभिव्यक्ति ,उदंती ,साहित्य शिल्पी ,एव. साहित्य कुञ्ज में नियमित रूप से प्रकाशित |

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
  • author
    01 अप्रैल 2025
    शानदार अशआर 👌👌👌
  • author
    राघव
    15 मई 2025
    "मेरी ग़ज़लें" भी पढ़ें .... https://pratilipi.page.link/VZJxu9KPoeyr1QY59
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    23 जुलाई 2020
    तू भी है शायर , मैं भी हूं शायर बता तू मुझसे अजनबी है क्या
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    01 अप्रैल 2025
    शानदार अशआर 👌👌👌
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    राघव
    15 मई 2025
    "मेरी ग़ज़लें" भी पढ़ें .... https://pratilipi.page.link/VZJxu9KPoeyr1QY59