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तेरा तुझको अर्पण

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तेरा तुझको अर्पण लगता है सब कुछ छूटा जा रहा है, मिट्टी की सोंधी खुशबू नहीं लूभा रही। डर व्याप्त है कहीं खींच न ले धरती, अपनी तरफ। सारी आकृतियां धूंधली न पड़ जाए। त्वचा का रंग, बहुत मिलता है ...