डरना मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है। मनुष्य सदैव भय के साथ जीता है, बस भय के स्वरूप अलग-अलग हैं। कुछ भय तो मनगढ़ंत दंतकथाओं जैसे हैं, जैसे के मरने के बाद नर्क में जाना पढ़ेगा। मनुष्य के बुरे कर्म, जो उसे ...
डरना मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है। मनुष्य सदैव भय के साथ जीता है, बस भय के स्वरूप अलग-अलग हैं। कुछ भय तो मनगढ़ंत दंतकथाओं जैसे हैं, जैसे के मरने के बाद नर्क में जाना पढ़ेगा। मनुष्य के बुरे कर्म, जो उसे ...