pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

तेरा आशिक हूँ मैं जमाने से

6

दोस्त बन जाते हैं बनाने से, साथ रहता है मगर निभाने से। रूठ जाओ तुम्हें है हक़ पूरा, मान जाना मगर मनाने से। दोस्ती मिट्टी का घड़ा होती है, टूट जाती है वो गिराने से। यूँ हमें छोड़ के न जाओ सनम, जान जाती ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Nitin Goswami

Student of the year

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है