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तन्हाईयों के ढेर में ख्वाहिश दबी रही,

4.1
3218

तन्हाईयों के ढेर में ख्वाहिश दबी रही, जैसे कि रेगिस्तान में बाकी नमी रही । मुझको बिठाके चल दिया ऑटो जबउसको छोड़, मैं देखता रहा,वो मुझे देखती रही । रोते रहे कुछ लोग और जलते रहे कुछ घर, पर निंदकों की ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    20 फ़रवरी 2024
    ख्वाहिशों के ढेर में कुछ कमी रही होंठो में मुस्कुराया नही,आंखों पर नमी बनी रही।
  • author
    नीरज आहुजा
    18 मार्च 2021
    बहुत बहुत खूबसूरत 👌👌👌👌👌
  • author
    बाबू अनजाना
    26 मार्च 2017
    बहुत अच्छा लिखा है आपने
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    20 फ़रवरी 2024
    ख्वाहिशों के ढेर में कुछ कमी रही होंठो में मुस्कुराया नही,आंखों पर नमी बनी रही।
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    नीरज आहुजा
    18 मार्च 2021
    बहुत बहुत खूबसूरत 👌👌👌👌👌
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    बाबू अनजाना
    26 मार्च 2017
    बहुत अच्छा लिखा है आपने