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तकिया कलाम

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काश इश्क़वालों ने निभाई होती कसमें तो आज ये शहर वीरान न होता... लोग चलते गर वफ़ादारी की राहपर तो आज ये सफ़र सुनसान न होता... बेवफ़ाई की सजा पायी हैं हुस्नवालों ने वरना हर दिल लहूलुहान न होता... ©ऋषि ...

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कवी । लेखक

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