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स्वीकारोक्ति

4.1
910

आज यूँ ही लगा कि इंसान के पास कितनी तरह के दुःख होते हैं, हर दुःख किसी एक कंधे पर सिर रख कर नहीं रोया जा सकता। हर व्यक्ति की सेंसिबिलिटी अलग होती है जो हमारे अलग-अलग मूड्स के साथ मैच करती है. यूँ ही ...

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लेखक के बारे में
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मणिका मोहिनी

एम्.ए.- दिल्ली विश्वविद्यालय रचनाएं – प्रेम प्रहार – काव्य संकलन मेरा मरना – काव्य संकलन कटघरे में – काव्य संकलन ख़त्म होने के बाद – कहानी संग्रह अभी तलाश जारी है – कहानी संग्रह अपना –अपना सच – कहानी संग्रह अन्वेषी – कहानी संग्रह स्वप्न दंश – कहानी संग्रह ये कहानियां – कहानी संग्रह ढाई आखर प्रेम का – कहानी संग्रह जग का मुजरा – कहानी संग्रह पारो ने कहा था – उपन्यास प्रसंगवश – लेख संग्रह अगेय;एक मूल्याङ्कन – सम्पादन उसका बचपन – नाट्य रूपान्तरण तेरह कहानियां – सम्पादन 5 अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shubhangi Gupta
    14 अक्टूबर 2018
    आप की अभिव्यक्ति पढ़ कर अच्छा लगा। कुछ इस ही तरह मैं भी अपने सामाजिक परिवेश का आकलन करती हूँ।
  • author
    Ajit
    03 जनवरी 2024
    अच्छा विश्लेषण किया है आपने अपने सहकर्मियों का या यूं कहें कि अलग अलग व्यक्तित्व का।
  • author
    Rohit Paikra
    23 मई 2019
    बहुत कुछ निर्भर करता है।
  • author
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    Shubhangi Gupta
    14 अक्टूबर 2018
    आप की अभिव्यक्ति पढ़ कर अच्छा लगा। कुछ इस ही तरह मैं भी अपने सामाजिक परिवेश का आकलन करती हूँ।
  • author
    Ajit
    03 जनवरी 2024
    अच्छा विश्लेषण किया है आपने अपने सहकर्मियों का या यूं कहें कि अलग अलग व्यक्तित्व का।
  • author
    Rohit Paikra
    23 मई 2019
    बहुत कुछ निर्भर करता है।