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"स्वच्छंद जीवन"

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खोज-बीन अंतस की अब बंद भी हो, ऊहा-पोह अंतर्मन में अब द्वन्द न हो, अस्त-व्यस्त मन, उसमें भी बंध..!! क्यों हों.? विकटता दूर करें खुद से,  तार-तार करें बन्धनों को, विषमता भूलें, अरे...!! जीवन ...

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लेखक के बारे में

मैं एक फिल्मकार हूँ, मेरी पहली फिल्म "साँकल" है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत चर्चित रही है। कविताएं शौक से करता हूँ। मेरे लिए फ़िल्म बनाना अगर प्रेम रस में डूबने जैसा है तो कविताएं लिखना उस प्रेम रस में ना डूब पाने की स्थिति में प्रेमरस की कल्पना से उसके चरम पर पहुंचने जैसा है !!

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