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स्वाभिमान सर्वोपरि

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चित्त से चिंतन उचित, चिंता से चित दोहरी संकल्पशील स्वर हो एक, स्वाभिमान सर्वोपरि तिनका तिनका जुड़े, कतरा कतरा बचे आरंभ से अवसान तक, मान क्षण गिरने ना दे प्रकाशमय प्रभात हो, हो नित नवल शर्वरी दाव पर ...

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लेखक के बारे में

मैं इन्दौर मध्यप्रदेश का निवासी हूं, मैं एक लेखक हूं, मेरी लिखी कविताएं, ग़ज़लें, शेर ओ शायरी में आप सभी के साथ साझा करता रहता हूं । यदि अच्छी लगे तो आपका प्यार दे, अगर कोई त्रुटि हो तो सुधार के लिए अपनी राय दे, जय हिंद-जय भारत, जय जवान-जय किसान

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