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स्वप्नों के उधेड़बुन में ......

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स्वप्नों के उधेड़बुन  में मकड़ों के जाल खिंचें जा रहे हैं, कुछ तनावग्रस्त  माहौल में इठला रहे हैं, मुस्कुरा रहे हैं   |1| रात्रि के प्रथम प्रहर में तम का विस्तार हो रहा है , सन्नाटों के सायें ...

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लेखक के बारे में
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Rahul Pandey

बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश में अध्यापक के रूप में कार्यरत। पूर्व में बैंकर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर रह चुके हैं। शिक्षा - सूचना प्रौद्योगिकी में विज्ञान स्नातक - शिक्षा स्नातक रचनाएं - कुछ पथिक अकेले होते हैं। ( कविता संग्रह )

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