“अभी न होगा मेरा अन्त अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसन्त अभी न होगा मेरा अन्त” महाप्राण के नाम से विख्यात, एक समादृत कवि-कथाकार, छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक सूर्यकांत त्रिपाठी ...
“अभी न होगा मेरा अन्त अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसन्त अभी न होगा मेरा अन्त” महाप्राण के नाम से विख्यात, एक समादृत कवि-कथाकार, छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक सूर्यकांत त्रिपाठी ...