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सीरत बिन सूरत

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कविता इस बात पर रोशनी डालती है कि किस तरह लोग अक्सर बाहरी आकर्षण में फँस जाते हैं, बिना यह समझे कि असली जुड़ाव आत्मा से होता है, न कि चेहरे से।