बचपन से ही लोगों की मदद करना अच्छा लगता था विहा को। कई बार डांट पड़ चुकी थी उसको कभी घर पर तो कभी टीचर से पर वो चाह कर भी कभी किसी को ना न कह पायी। और आज आज तो हद ही हो गयी,अभी वह सोच भी न पायी थी कि ...
बचपन से ही लोगों की मदद करना अच्छा लगता था विहा को। कई बार डांट पड़ चुकी थी उसको कभी घर पर तो कभी टीचर से पर वो चाह कर भी कभी किसी को ना न कह पायी। और आज आज तो हद ही हो गयी,अभी वह सोच भी न पायी थी कि ...