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सूरज चाचू ( बाल कविता)

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4.5

सूरज चाचू आते रोज नियम के हैं पक्के वो अँधेरा रोज भगाते है प्रकाश खूब फैलाते है सुबह सुबह आकर हमको नियम का पाठ पढ़ाते हैं रवि भानु दिवाकर भास्कर , दिनकर भी है उनका नाम सुबह सवेरे उठकर बच्चो ...