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सुपुर्द ए खाक l

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हश्र ए जिहाद पता था उसको. सुपुर्द ए खाक ही अंजाम होना था l ना कफ़न होगा नशीब मुझे ना अपनी मिटटी में दफ़न होना था. ना हिंदुस्तानी ना पाकिस्तानी. नफ़रत के नुमाइंदो का मात्र खिलौना था सुपुर्द ए ...

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bamdev tripathi

तेरी कुर्बत में ऐ साकी जीने की तम्मन्ना थी। मगर इस ज़िन्दगी ने भी हमसे बेवफाई की।

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