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सूक्ति : अति सर्वत्र वर्जयेत्। (भाव पल्लवन)

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किसी भी चीज़ की अधिकता बुरी है। हद से ज्यादा सौंदर्य भी किसी की  बुरी नज़र पड़ने से घातक हो सकता है। बहुत ज्यादा अच्छा या सीधा होना भी उचित नहीं, क्योंकि लोग उसका ग़लत फ़ायदा उठा सकते हैं। आवश्यकता ...