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सुहाग

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करवाचौथ पे लिखी मेरी इक रचना *सुहाग* बाँधकर गले में मंगल मोतियों का मंगलसूत्र, भरकर माँग में चुटकीभर सुहाग सिंदूर, मायके का मान और संस्कारों की चुनरी ओढ़ कुँवारीकन्या से सुहागन बना दिया। तूने एक ...