स्त्री कुछ गम कुछ खुशियाँ मुट्ठी में दबाये आँख में छुपाये स्त्री ही बनी रहती जब तक उसके स्त्रीत्व को कोई ललकारता नही उसका हृदय दर्द से चीत्कारता नही स्त्री धैर्य और क्रोध का संगम ...
स्त्री कुछ गम कुछ खुशियाँ मुट्ठी में दबाये आँख में छुपाये स्त्री ही बनी रहती जब तक उसके स्त्रीत्व को कोई ललकारता नही उसका हृदय दर्द से चीत्कारता नही स्त्री धैर्य और क्रोध का संगम ...