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एक कुत्ते के गले में उसकी पेट समेत इस प्रकार से पट्टा लगा हुआ था जिससे कि उसे नियंत्रण में भी रखा जा सके और उसे ज्यादा शारीरिक कष्ट भी ना हो। कुत्ते की सुविधा का ध्यान रखने के साथ ही साथ उसे ...

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लेखक के बारे में
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D P Mitra

मैं समाजशास्त्र का शोधार्थी हूँ और वर्तमान में "काशी के वैष्णव साधुओं" पर पीएचडी कर रहा हूँ। मेरा अध्ययन उपवर्गीय अध्ययन, सामाजिक परिवर्तन, जाति, लिंग, धार्मिक पहचान और भारतीय सिनेमा जैसे विषयों पर केंद्रित है। मैंने उपवर्गीय अध्ययन में एम.फिल किया है और कई शोध पत्र लिखे हैं। मेरी गहरी रुचि आध्यात्मिकता, दर्शन और पराभौतिक अनुभवों में भी है। किताबें पढ़ना और विज्ञान आधारित फिल्में देखना पसंद करता हूँ। भारतीय समाज की विविधताओं और बदलावों को समाजशास्त्रीय और दार्शनिक दृष्टि से समझने में विशेष रुचि रखता हूँ।

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